Wednesday, September 28, 2011

कल रात


कल रात मेरे हाथों में 
हाथ था उनका
चाँद का पहरा था 
मद्धम सी हवाएं थीं
कुछ नज्में भी साथ थीं
आधी नींद में, अलसाई,
हमारी गोद में बिखरी पड़ी थीं 
किसी ने चूमा था उनके माथे को जैसे 
सुर्ख सी, शरमाई हुई सी 
चाँदनी में सिमटी पड़ी थीं 
गुनगुनाती थीं धीमे से 
गीत रेगिस्तानों के 

रेट में डूबा कर पैर 
चाँदनी में लिपट कर 
कुछ गुनगुनाया था 
हमारा रिश्ता भी 

कल रात मेरे शहर में 
अरसे के बाद 
बारिशें हुई थीं 

Sunday, September 25, 2011

..


मुट्ठी  भर  आकाश  में  जैसे 
पंखों  का  विस्तार 
वैसे  तेरे  ह्रदय  में  चाहूँ 
फैले मेरा प्यार 

Thursday, September 1, 2011

आधी रात

आधी ढली सी रात है
सुबह है आधी - आधी
उबलता सा एक ख्वाब है
आधा उफान, आधा ठहराव
थोड़ा सा सर्द है
थोडा सा गर्म भी
तैरता है पलकों पे
तरल है, सरल है,
यथार्थ है, और भ्रम भी

आधा उजाला अनचाहा
आधी बिन-माँगी रात
आधे भूले से रास्तों में
आधा - आधा प्रयास
धूल धूल अँधेरा
परत-दर-परत जम रहा
हौसलों में क्या बाकी है
आधी दबी सी, आधी मचलती
कोई आँधी?