Sunday, August 20, 2023

शब्द एक दिन तुम लौट आना

शब्द एक दिन तुम लौट आना

अभी नाराज़गी तुम्हारी जायज़ है

मैंने ऐसे मुँह मोड़ा हमारे रिश्ते से

जैसे तुम मेरे अतिप्रिय नहीं

जैसे जीवन की हर मझधार में

नौका बनकर तुमने ना सम्भाला हो मुझे

जैसे बचपन की ऊँची चौखट

तुम्हारे कंधे पर सवार लड़खड़ाते हुए ना लाँघी हो

जैसे तुम बिन संभव था उन कच्चे मासूम पत्रों का व्यापार

जैसे तुम बिन बुन पाती कभी अपना ये टेढ़ा मेढ़ा सच्चा संसार

जैसे मेरे अन्तर्मन की भाषा का आकार नहीं हो तुम

जैसे मेरी अदम्य आशा का आधार नहीं हो तुम



फिर भी एक दिन तुम लौट आना

हमारे भूले बिसरे रिश्ते की खातिर

भूलने की मेरी फ़ितरत मैं कम कर लूँगी

तुम भी अपनी आदत की तरह खुल कर बरस जाना

और मैं ज़रिया बन एक बार फिर कलम धर लूँगी 

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