मेरी नज्मों में छुपे बैठे हो कब से
रात के साये में लिपटे हुए से
छुपा छुपी के इस खेल में तलाशती रहती हूँ मैं
कभी तुम्हे, कभी अपने आँचल के छोर को
वहीँ कहीं शायद किसी गाँठ में
हमने चावल के दानों के साथ
कसमें बाँधी थीं कभी
रात के साये में लिपटे हुए से
छुपा छुपी के इस खेल में तलाशती रहती हूँ मैं
कभी तुम्हे, कभी अपने आँचल के छोर को
वहीँ कहीं शायद किसी गाँठ में
हमने चावल के दानों के साथ
कसमें बाँधी थीं कभी
Tulika,
ReplyDeleteKISI KI YAAD HRIDEY CHHONE WALE SHABDON MEIN KAHAA HAI AAPNE.
Take care
loved it...
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