सर्दी की धूप
Friday, May 25, 2012
इक दिन के लिए आओ
ज़िन्दगी बदल के देखें
तुम आग के दरिये तैरो
हम ठंडी आहें सेंकें
ऐसी रात में मिल
चाँदनी जब छन के
आँगन में उतरे
और तारों की बारिश में
भींगे हों दिल
सौंधी सी हवा में
आज़ाद हों खुशबुएँ
और नींदों की गलियों में
सपने हों शामिल
ऐसी मद्धम सी रात में
जब सपने और हकीकत
का फर्क धुंधला जाए
ऐसी रात में, चुपचाप कभी
ख़याल बन के मिलना
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