चाँदनी जब छन के
आँगन में उतरे
और तारों की बारिश में
भींगे हों दिल
आँगन में उतरे
और तारों की बारिश में
भींगे हों दिल
सौंधी सी हवा में
आज़ाद हों खुशबुएँ
और नींदों की गलियों में
सपने हों शामिल
ऐसी मद्धम सी रात में
जब सपने और हकीकत
का फर्क धुंधला जाए
ऐसी रात में, चुपचाप कभी
ख़याल बन के मिलना
आज़ाद हों खुशबुएँ
और नींदों की गलियों में
सपने हों शामिल
ऐसी मद्धम सी रात में
जब सपने और हकीकत
का फर्क धुंधला जाए
ऐसी रात में, चुपचाप कभी
ख़याल बन के मिलना
Good to see that you are back to sardee ki dhoop.. :)
ReplyDeleteBehtareen.
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