सर्दी की धूप
Saturday, September 23, 2023
लेखन और मैं
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आज समंदर की लहरों में चलते चलते विचार आया कि जो कभी बहाव हुआ करता था, आज प्रयास बन गया है। जीवन बस बाहरी दबाव के बावजूद अंदरूनी दबाव को मा...
Sunday, August 20, 2023
शब्द एक दिन तुम लौट आना
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शब्द एक दिन तुम लौट आना अभी नाराज़गी तुम्हारी जायज़ है मैंने ऐसे मुँह मोड़ा हमारे रिश्ते से जैसे तुम मेरे अतिप्रिय नहीं जैसे जीवन की हर मझधार ...
Friday, May 8, 2015
कहानी
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वो कहती है कहानी सुनाओ माँ और देखती है आधी मूंदी पलकों से मेरे चेहरे को मिथ्या की गलियों से चलकर स्वप्नों में अव...
Tuesday, September 9, 2014
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आघात नहीं कह सकती इसको यह जो पीड़ा है, आकस्मक नहीं है असहनीय भी नहीं कहूँगी क्योंकि जीवित हूँ इसे ह्रदय में लिए अब भी एक शांत सा सागर है...
Sunday, August 17, 2014
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कुछ किस्से कविताओं में व्यक्त न हो पाएँगे किसी और दिन की खातिर मन की बोरियों में बँध जाएँगे आज के लिए बस ये प्रार्थना पर्याप्त हो जब ...
Saturday, August 16, 2014
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वो कहते हैं रोम एक रात में नहीं बना फिर एक रात में ध्वस्त कैसे हो जाती हैं वर्षों, युगों की इमारतें एक ठोकर में कैसे बिखर जाती हैं ...
Sunday, May 4, 2014
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धीरे धीरे सुन्न से होते जा रहे हैं सब लफ्ज़, शब्द, नब्ज़ सन्नाटा जीतने को है जल्द ही मेरे मंन के निरंतर शोर से नज़र में आ रहा है अब गहरा ...
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