आघात नहीं कह सकती इसको
यह जो पीड़ा है, आकस्मक नहीं है
असहनीय भी नहीं कहूँगी क्योंकि
जीवित हूँ इसे ह्रदय में लिए अब भी
यह जो पीड़ा है, आकस्मक नहीं है
असहनीय भी नहीं कहूँगी क्योंकि
जीवित हूँ इसे ह्रदय में लिए अब भी
एक शांत सा सागर है ये
लहरों का शोर तो है किन्तु
न हलचल, न तटस्थ होने का प्रयास
आकाश बन कर शान्ति, सर पर छा गयी है आज
लहरों का शोर तो है किन्तु
न हलचल, न तटस्थ होने का प्रयास
आकाश बन कर शान्ति, सर पर छा गयी है आज
अडिग अचल अछल है ये पीड़ा
हर भ्रम को, भंगिमा को भंग कर चुकी पीड़ा
मन की शिथिलता में शिलांकित पीड़ा
अर्थों, आशाओं से परे, स्वीकृत, परिचित पीड़ा
हर भ्रम को, भंगिमा को भंग कर चुकी पीड़ा
मन की शिथिलता में शिलांकित पीड़ा
अर्थों, आशाओं से परे, स्वीकृत, परिचित पीड़ा
इसे अब अपना कहना अतिशयोक्ति तो नहीं
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